दिवाली की मिठाई के बारे में लोगों को बताएंगे-हास्य कवित
दीपावली मेले में दुकान से
घर सजाने के लिये मिट्टी के बने
कुछ खिलौने खरीदने पर
उनका मिठाई का ध्यान आया तो बोले
‘भईया, तुम्हारे मिट्टी के फल तो
असली लगते हैं
हम इसे अपने ड्रांइग रूम में सजायेंगे
ऐसे ही मिठाई के भी दिखाओ
आजकल विषैले खोये की वजह
से मिठाई खरीदने की हिम्मत नहीं होती
अगर मिल जायें मिठाई के खिलौने तो बहुत अच्छा
उसे भी इनके साथ सजायेंगे
हमने भी दीपावली पर जमकर
मिठाई खाई लोगों को बतायेंगे
यह हिंदी कहानी/आलेख/शायरी मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान-पत्रिका’ पर लिखी गयी है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन के लिये अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की हिंदी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.अनंत शब्दयोग
कवि और संपादक-दीपक भारतदीप
Like this:
पसंद करें लोड हो रहा है...
Related
By
दीपक भारतदीप, on
02/11/2008 at 09:45, under
अनुभूति,
अभिव्यक्ति,
कला,
मस्तराम,
व्यंग्य,
शायरी,
शेर,
साहित्य,
हास्य कविता,
हास्य-व्यंग्य,
हिन्दी शायरी,
हिन्दी शेर,
blogging,
Blogroll,
deepak bharatdeep,
E-patrika,
FAMILY,
friends,
global dashboard,
hindi bhasakar,
hindi epatrika,
hindi friends,
hindi internet,
hindi jagran,
hindi journlism,
hindi kahani,
hindi megzine,
hindi poem,
inglish,
internet,
mastram,
web bhaskar,
web dunia,
web duniya,
web panjab kesri,
web patrika. टैग्स:
दीपावली,
दुकान,
ध्यान,
मिट्टी,
deepawali,
shop,
sweats. 1 टिप्पणी
or leave a trackback:
Trackback URL.
टिप्पणियाँ
Idea अचछा है।
मिट्टी के पटाके भी क्यों नहीं?
शांति से दिवाली मना सकेंगे।