पंचतत्वों से बने इंसान
कभी हीरे या
सोने जैसे नहीं होते।
आदतों से मजबूर सभी
चरित्र में चालाकी के बीज
बोने जैसे नहीं होते।
कहें दीपक बापू इतिहास में
खल भी बन गये महानायक
दर्दनाक हादसे करने वाले
पर्दे पर बने घायल के सहायक
कहलाये फरिश्ते ऐसे नाम
जो भले इंसानों की जुबान पर
ढोने जैसे नहीं होते
—————-
इंतजार करो
आग बुझाने आयेंगे वही लोग
जिन्होंने लगाई है।
इंतजार करो
रोटी लेकर आयेंगे वही लोग
जिन्होंने भूख जगाई है।
कहें दीपक बापू लाचारी ओढ़कर
बैठने का सहारा इंतजार है,
बेबस का वादा यार है,
कमजोर के उठ खड़े होने से
घबड़ाते हैं वह चालाक लोग
जिन्होंने ज़माने की तरक्की
अपने घर लगाई है।
—————————-
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja “”Bharatdeep””
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak ‘Bharatdeep’,Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
————————-
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.शब्दयोग सारथी पत्रिका
टिप्पणियाँ
Thanks
2015-08-23 22:07 GMT+05:30 “*******दीपक भारतदीप की ई-पत्रिका*******