तीन क्षणिकाऐं



किसी को खुश देखकर ही
जब मजा आता हो तब
कही तारीफें झूठ में भी
लोग कर जाते हैं
सच से फरेब करने में नहीं सकुचाते हैं
…………………….

सांप से नेवले से पूछा
‘क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे?’
नेवले ने कहा
‘हां, क्यों नहीं
हम दोनों ही जंगली हैं
जंग का मैदान बन चुके
शहर में अपने लिए
कोई जगह बची नहीं
कुछ जगह मालिक अड़े
तो कहीं मजदूर खड़े
दोनों में दोस्ती कभी संभव नहीं
पर हम दोनों में कोई
शोषक या शोषित नहीं
इसलिये खूब जमेगी जब
मिलकर बैठेंगे दो यार
करेंगे एक दूसरे के लिए शिकार
फिर तुमसे क्यों घबड़ाऊंगा
तुम मुझसे क्यों डरोगे‘
………………….

संवेदनहीन हो चुके समाज में
अपनी जिंदगी किसी
दूसरे की दया पर मत छोड़ना
अवसर पाते ही सांप छोड़ दे
पर इंसान नहीं चाहते डसना छोड़ना
……………………..

Post a comment or leave a trackback: Trackback URL.

टिप्पणियाँ

  • sameerlal  On 11/06/2008 at 15:13

    बढ़िया विचारोत्तेजक क्षणिकायें हैं, बधाई.

  • ranjanabhatia  On 11/06/2008 at 16:11

    बहुत सही ..अच्छी लगी यह

  • mehek  On 11/06/2008 at 17:15

    jhuti tariff se kisi ko pal bhar ki khushi mile,manzur hai,bahut hi khub kaha

  • balkishan  On 12/06/2008 at 07:37

    बहुत खूब.
    गजब का लिखा आपने.
    बधाई.

टिप्पणी करे