बेनजीर एक नजीर बन गयी


सुन्दर चेहरा
समुन्दर जैसे गहरी ऑंखें
खुशदिल और शिक्षित व्यक्तित्व
की मल्लिका बेनजीर को
किसकी  नजर लग गयी

५४ वर्ष में खिला एक
फूल पल भर में मसल डाला
दानव नहीं लगा सकते एक फूल भी
पर बाग़-बाग़ के उजाड़ डालते हैं
इंसानों के भेष में सब इंसान नहीं होते
भला क्या सब यह जानते हैं
भोली भाली एक औरत
मर्दों की राजनीति की बलि चढ़ गयी

हिंसा का खेल कौन रचता है
अपने लिए  रखता है आजादी
औरत को गुलाम बनाने के लिए
कई किताबें लिख बचता है
लिखी जायेगी कोई किताब उस पर
फिर कभी किसी आदमी द्वारा
बेनजीर किताब का एक पन्ना बन गई

उसने किया उन लोगों पर भरोसा
जिनके घर के चिराग 
भले लोगों के खून से रौशन होते हैं
अपने कफ़न  बेचने के लिए
बाजार में कत्लेआम बेचते हैं
धोखे तो हर पल होते हैं यहाँ
बेनजीर भी एक नजीर बन गयी   

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टिप्पणियाँ

  • mehhekk  On 28/12/2007 at 16:29

    she was a great lady,benjir,hats of to her,demons cant see one lady leading a nation,she would hv definetly win the elections.sach kiski nazar lag gayi unhe,she will be remembered as one of powerful lady in world.power of great thoughts.

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