डूबते को तिनके का सहारा :एक नारा
डूबते को तिनके का सहारा
देने में वह नाम कमाते हैं
पहले आदमी को डूबने की लिए छोड़
फिर तिनके एकत्रित करने के लिए
अभियान चलते हैं
जब भर जाते हैं चारों और तिनके
तब अपना आशियाना बनाते हैं
और डूबते को भूल जाते हैं
फिर भी उनका नाम है बुलंदियों पर
भला डूबे लोग कब उनकी पोल खाते हैं
———————————————
जब तक जवान थे
अपने नारे और वाद के सहारे
बहुत से आन्दोलन और अभियान चलाते रहे
अब बुढापे में मिल गया
आधुनिक साधनों का मिल गया सहारा
वीडियो और टीवी पर ही
चला रहे हैं पुरानी दुकान
अब भी चल रहा है उनका जन कल्याण
पेंतरे हैं नये पर शब्द वही जो बरसों से कहे
पसंद करें लोड हो रहा है...
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दीपक भारतदीप, on
24/11/2007 at 14:02, under
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टिप्पणियाँ
सत्य वचन!
वाह, बहुत खूब