दान और कमीशन-व्यंग्य कविता (dan aur comishan-vyangya shayri)
सरकार और साहुकारों ने
इतने वर्षों से बहुत दान किया है
कि इस देश से पीढ़ियों तक
गरीबी मिट जाती।
अगर कमबख्त
यह कमीशन की रीति
दान बांटने वालों की नीति न बन जाती।
———
नया बनाने के लिये
पुराना समाज टुकड़े टुकड़े
किये जा रहे हैं।
कुछ नया नहीं बन पा रहा है
इसलिये हर टुकड़े को समाज बता रहे हैं।
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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दीपक भारतदीप, on
25/12/2009 at 21:27, under
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