रहीम के दोहे:जागते हुए अनीति करे उसे शिक्षा देना अनुचित
जलहिं मिले रहीम ज्यों किल्यो आप सम छीर
अंगवहि आपुहि त्यों, सकल आंच की भीर
कविवर रहीम का कहाँ है की जिस प्रकार जल दूध में मिलकर दूध बना जाता है, उसी प्रकार जीव का शरीर अग्नि में मिलकर अग्नि हो जाता है.
जानि अनीति जे करै, जागत ही रह सोइ
ताहि सिखाइ जगाईयो, रहिमन उचित न होइ
समझ-बूझकर भी जो व्यक्ति अन्याय करता है वह तो जागते हुए भी सोता है. कवि रहीम कहते हैं की ऐसे इंसान को जाग्रत रहने की शिक्षा देना भी उचित नहीं है.
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दीपक भारतदीप, on
19/01/2008 at 04:13, under
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