हमें पूछा था अपने दिल को
बहलाने के लिए किसे जगह का पता
उन्होने बाजार का रास्ता बता दिया
जहां बिकती है दिल की खुशी
दौलत के सिक्कों से
जहाँ पहुंचे तो सौदागरों ने
मोलभाव में उलझा दिया
अगर बाजार में मिलती दिल की खुशी
और दिमाग का चैन
तो इस दुनिया में रहता
हर आदमी क्यों इतना बैचैन
हम घर पहुंचे और सांस ली
आँखें बंद की और सिर तकिये पर रखा
आखिर उसने ही जिसे हम
ढूढ़ते हुए थक गये थे
उसका पता दिया
——————-
सांप के पास जहर है
पर डसने किसी को खुद नहीं जाता
कुता काट सकता है
पर अकारण नहीं काटने आता
निरीह गाय नुकीले सींग होते
हुए भी खामोश सहती हैं अनाचार
किसी को अनजाने में लग जाये अलग बात
पर उसके मन में किसी को मरने का
विचार में नहीं आता
भूखा न हो तो शेर भी
कभी शिकार पर नहीं जाता
हर इंसान एक दूसरे को
सिखाता हैं इंसानियत का पाठ
भूल जाता हां जब खुद का वक्त आता
एक पल की रोटी अभी पेट मह होती है
दूसरी की जुगाड़ में लग जाता
पीछे से वार करते हुए इंसान
जहरीले शिकारी के भेष में होता है जब
किसी और जीव का नाम
उसके साथ शोभा नहीं पाता
————–
दीपक भारतदीप द्धारा
|
अनुभूति, अभिव्यक्ति, कविता, साहित्य, हास्य, हास्य कविता, हास्य-व्यंग्य, हिन्दी, हिन्दी शायरी, हिन्दी शेर, Blogroll, dashboard, deepak bharatdeep, deshboard, global dashboard, hindi bhasakar, hindi epatrika, hindi friends, hindi hasya, hindi internet, hindi jagran, hindi journlism, hindi kavita, hindi kaviti, hindi litreture, hindi megzine, hindi mitra, hindi nai duinia, hindi poem, hindi sahity, hindi web, web dunia, web duniya में प्रकाशित किया गया
|
Also tagged कविता, व्यंग्य, साहित्य, हास्य, हिन्दी, hasya, hindi, vyangya
|
जब किसी के लिखने से
शांति भंग होती है
तो उससे कहें बंद कर दे लिखना
जो बिना पढे ही
चंद शब्दों को समझे बिना ही
जमाने पर फैंकते हैं पत्थर
गैरों के इशारे पर
अपनों पर ही चुभोते हैं नश्तर
कह देते हैं लिखने वाले से
अब कभी लिखते नहीं दिखना
बोलने की आजादी पर
जोर-जोर से सुबह शाम चिल्लाने वाले
अपनी ताकत पर खौफ का
माहोल बनाने वालों का
रास्ता हमेशा आसान होते दिखता
लिखने की आजादी उनको मंजूर नहीं
क्योंकि कोई शब्द उनके
ख्यालों से नहीं मिलता
उनकी दिमाग में किसी के साथ चलने का
इरादा नहीं टिकता
उनके खौफ से ही ताकत बनती
जमाने के मिट जाने का डर जतातीं तकरीरें
बेबस भीड़ भी होती है उनके साथ
बढ़ते रहेंगे उनके पंजे तब तक
भीड़ से नहीं निकलेंगे शेर जब तक
दिल में हिम्मत जुटाकर लड़ना तो जरूरी है
काफी नहीं अब लड़ते दिखना
दीपक भारतदीप द्धारा
|
अनुभूति, अभिव्यक्ति, कविता, शायरी, शेर, साहित्य, हास्य, हास्य कविता, हास्य-व्यंग्य, हिन्दी, Blogroll, deepak bharatdeep, global dashboard, hindi bhasakar, hindi cricket, hindi culture, hindi epatrika, hindi friends, hindi hasya, hindi internet, hindi jagran, hindi journlism, hindi kavita, hindi litreture, hindi megzine, hindi mitra, hindi nai duinia, hindi sahity, hindi web, hindu culture, inglish, web dunia, web duniya में प्रकाशित किया गया
|
Also tagged कविता, व्यंग्य, साहित्य, हास्य, हिन्दी, hasya, hindi, vyangya
|
आखिर झगडा किस बात का है? क्रिकेट वालों ने एक्टर से कहा होगा कि-”यार, क्रिकेट को लोग देखने तो खूब आ रहे हैं पर अभी पहले जैसी तवज्जो नहीं मिल रही है। हमारी टीम ने ट्वेन्टी-ट्वेन्टी मैं विश्व कप जीता है और हमें चाहिए फिफ्टी-फिफ्टी के ग्राहक जिसमें विज्ञापन लंबे समय तक दिखाए जा सकते हैं। सो तुम भी मैदान मैं देखने आ जाओ तो थोडा इसका क्रेज बढे। ट्वेन्टी-ट्वेन्टी के समय से क्रिकेट पेट नहीं भरना है.”
इधर एक्टर भी फ्लॉप चल रहें हो तो क्या करें? एक दिन फिल्म आयी मीडिया मैं शोर मचा फिर थम गया। अरबों रूपये का खेल है और तमाम तरह के विज्ञापन अभियान(अद्द cअम्पैं) लोगों की भावनाओं पर जिंदा हैं। विज्ञापन देने वाली कंपनिया तो सीमित हैं। फिल्मों के एक्टर हों या क्रिकेट के खिलाड़ी उनके प्रोडक्ट के प्रचार के माडल होते हैं। एक क्षेत्र में फ्लॉप हो रहे हों तो दूसरे के इलाके से लोग ले आओ। समस्या फिल्म और क्रिकेट की नहीं है कंपनियों के प्रोडक्ट के प्रचार की हैं। जब किसी प्रोडक्ट के माडल हीरो और खिलाड़ी एक हों तो उनका एक जगह पर होना प्रचार का दोहरा साधन हो जाता है।
अब आगे और बदलाव आने वाले हैं। जो युवक और युवतियां फिल्म के लिए इंटरव्यू देने जायेंगे उनसे अपने अभिनय के बारे में कम क्रिकेट के बारे में अधिक सवाल होंगे। खेल से संबन्धित विषय पर नहीं बल्कि उसे देखने के तरीक के बारे में सवाल होंगे। जैसे
१. जब मैच देखने जाओगे तो कैसे सीट पर बैठोगे?
२. चेहरे पर कैसी भाव भंगिमा बनाओगे जिससे लगे कि तुम क्रिकेट के बारे में जानते हो?
३. जब कोई देश का खिलाड़ी छका लगाएगा तो कैसे ताली बजाओगे?
इस तरह के ढेर सारे सवाल और होंगे और अनुबंध में ही यह शर्त शामिल होगी कि जब तक फिल्म पुरानी न पड़े तब तक निर्माता के आदेश पर फिल्म प्रचार के लिए एक्टर मैच देखने मैदान पर जायेगा।
क्रिकेट में क्या होगा? लड़के दो तरह के कोच के यहाँ जायेंगे-सुबह क्रिकेट के कोच के यहाँ शाम को डांस वाले के यहाँ। भी रैंप पर भी जाना तो होगा क्रिकेट के प्रचार के लिए। आगे जब स्थानीय, प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर पर जो चयन करता टीम का चयन करेंगे वह पहले खिलाडियों की नृत्य कला की परख करेंगे। क्रिकेट खेलने वाले तो कई मिल जायेंगे पर रेम्प पर नृत्य कर सकें यह संभव नहीं है-और ऐसी ही प्रचार अभियान चलते रहे तो नृत्य में प्रवीण खिलाडियों की पूछ परख बाद जायेगी। हाँ, इसमें पुराने संस्कार धारक दब्बू क्रिकेट खिलाडियों को बहुत परेशानी होगी। यह बाजार और प्रचार का खेल और इसमें आगे जाने-जाने क्या देखने को मिलेगा क्योंकि यह चलता है लोगों के जज्बातों से और जहाँ वह जायेंगे वहीं उनकी जेब में रखा पैसा भी जायेगा और उसे खींचने वाले भी वहीं अपना डेरा जमायेंगे।
दीपक भारतदीप द्धारा
|
अनुभूति, अभिव्यक्ति, आलेख, क्रिकेट, फिल्म, व्यंग्य, शायरी, साहित्य, हास्य, हास्य-व्यंग्य, हिन्दी, Blogroll, cricket, deepak bharatdeep, deshboard, global dashboard, hindi bhasakar, hindi culture, hindi epatrika, hindi friends, hindi hasya, hindi internet, hindi jagran, hindi journlism, hindi kahani, hindi litreture, hindi megzine, hindi mitra, hindi nai duinia, web dunia में प्रकाशित किया गया
|
Also tagged कविता, क्रिकेट, फिल्म, व्यंग्य, साहित्य, हास्य, हिन्दी, hasya, hindi, vyangya
|