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उजड़े रिश्ते-हिन्दी शायरी (rishtey-hindi comic poem)


अपनी दर्द भरी बातें
किसी को क्या सुनायें,
रोते लोगों क्या रुलायें,
सभी अपने गम छिपाने के लिये
दूसरों के घावों पर हंसने का
मौका ढूंढ रहे हैं।
अपने साथ हुए हादसों के किस्से
किसको सुनायें,
आखिर लोग उनको मुफ्त में क्यों भुनायें,
अपनी जिंदगी में थके हारे लोग
जज़्बातों के सौदागर बनकर
दूसरों के घरों के उजड़े रिश्तों की कहानी
बेचने के लिये घूम रहे हैं।

कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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