यह ख्याल अच्छा है
पर कोई चाबुक नहीं
किसी इंसान के पास
जिससे दूसरे का ख्याल बदल दे।
अमीरी खूंखार ख्याल लाती है,
कहर बरपाने के कदमों में
ताकत का सबूत पाती है,
गरीबी मदद के लिये
भटकाती है इधर से उधर,
दरियादिली के इंतजार में खड़े टूटे घर,
न बदलती किस्मत
न होती हिम्मत
बस उम्मीद जिंदा रहती है कि
शायद कोई हालात बदल दे।
jpoet, Writer and editor-Deepak ‘Bharatdeep’,Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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