कुछ खबरें जोर से रुलाती हैं।
कमबख्त!
किस पर देर तक गौर करें
अपनी खूंखार असलियतें भी
जल्दी से अपनी तरफ बुलाती हैं।
कहें दीपक बापू
खबरचियों का धंधा है
लोगों के जज़्बातों से खेलना,
कभी होठों में हंसी लाने की कोशिश होती
कभी शुरु होता आंखों में आंसु पेलना,
बिकने के लिये बाज़ार में बहुत सामान है,
ग्राहक खुश है खरीद कर शान में,
हमारे जज़्बातों से न कर पाये खिलवाड़ कोई
इसलिये फेर लेते हैं नज़रे
विज्ञापनों में दिखने वाली सुंदरियों से
खबर और बहस के बीच कंपनियों के
उत्पाद बिकवाने के लिये
अपने हाथ में झुलाती हैं।
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja “”Bharatdeep””
Gwalior, madhyapradesh
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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