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पब में पीने से शराब कोई अमृत नहीं हो जाती -हास्य कविता


नयी धोती, कुरता और टोपी पहनकर
बाहर जाने को तैयार हुए
कि आया फंदेबाज और बोला
‘दीपक बापू
अच्छा हुआ तैयार हुए मिल गये
समय बच जायेगा
चलो आज अपने भतीजे के पब के
उदघाटन कार्यक्रम में तुम्हें भी ले जाता।
वहां तुम्हें पांचवें नंबर का अतिथि बनाता।
किसी ने नहीं दिया होगा ऐसा सम्मान
जो मैं तुम्हें दिलाता
खाने के साथ जाम भी पिलाता’।

सुनकर क्रोध में भर गये
फिर लाल लाल आंखें करते हुए बोले
दीपक बापू
‘कमबख्त जब भी मेरे यहां आना
प्यार में हो या गुस्से में जरूर देना ताना
पब में पीने से
शराब का कोई अमृत नहीं बन जाता।
पीने वाला पीकर तामस
प्रवृत्ति का ही हो जाता ।
झगड़े पीने वाला शुरु करे या दूसरा कोई
बदनाम तो दोनों का नाम हो जाता।
शराब कोई अच्छी चीज नहीं
इसलिये घर में सभी को पीने में लज्जा आती
बाहर पियें दोस्तों के साथ महफिल में
तो कभी झगड़ों की खबर आती
शराब-खाने के नाम पर कान नहीं देंगे लोग
इसलिये पब के नाम से खबर दी आती
शराब का नाम नहीं होता
इसलिये वह सनसनी बन जाती
शराब पीने पर फसाद तो हो ही जाते हैं
शराब की बात कहें तो असर नहीं होता
इसलिये खाली पब के नाम खबर में दिये जाते हैं
पिटा आदमी शराबी है
इसे नहीं बताया जाता
क्योंकि उसके लिये जज्बात पैदा कर
सनसनी फैलाने के ख्वाब मिट जाते हैं
पब नाम रखा जाता है इसलिये कि
शराब का नाम देने में सभी शरमाते हैं
वहां हुए झगड़ों में भी
अब ढूंढने लगे जाति,धर्म,भाषा और लिंग के भेद
ताकि शराब पीकर पिटने वालों के लिये
लोगों में पैदा कर सकें खेद
रखो तुम अपने पास ही उदघाटन का सम्मान
कभी पब पर कुछ हुआ तो
हम भी हो जायेंगे बदनाम
वैसे भी हम नहीं पीते अब जाम
अंतर्जाल पर हास्य कवितायें लिखकर ही
कर लेते हैं नशा
हमें तो अपना कंप्यूटर ही पब नजर आता है

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एक टुकड़ा बरफी-हास्य कविता


एक पड़ौसन ने दूसरी से कहा
‘तुम्हें बधाई हो बधाई
तुम्हारे पतिदेव जहां करते हैं
मदद का काम
वहां आई जमकर भारी बाढ़
वहां बरसात हुई है जाम
अब तो तुम्हारे घर लक्ष्मी बरसेगी
सारी दुनियां तुम्हें देखकर
अपने अच्छे भाग्य को तरसेगी
यह खबर आज अखबार में आई
तुम हमें खिलाना अब अच्छी मिठाई‘

सुनकर दूसरी पड़ौसन भड़की और बोली
‘मैं क्यों खिलाऊं तुम्हें मिठाई
तुम्हारे जहां करते हैं
लोगों की सेवा का काम
वहां भी तो पड़ा था भारी सूखा
तुम्हारे घर में यहां बन रहे थे पकवान
वहां खाने को तरसे थे लोग रूखा सूखा
तब तो तुमने किसी को यह
खबर तक नहीं बताई
मिठाई मांगने के लिये तो
बिना टिकट चली आई
पर जब आ रहा था सूखे के समय
रोज घर में नया सामान
तब तुमने एक टुकड़ा बरफी भी नहीं भिजवाई
इसलिये तुम भूल जाओ मिठाई
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