अपनी बात-हिन्दी कविता


कभी कभी हम

कुछ पंक्तियों में

अपनी बात कह जाते हैं।

हालातों से बेजार ज़माना

भटका है बाज़ार की

भूलभुलैया में

किससे कहें अपने शब्द

लोगों के कान

अपने मतलब की बात

सुनने के लिये ही रहते आतुर

हम स्वयं से ही कहते

दिल की बात

कागज अपना साथी बनाते हैं।

कहें दीपक बापू संवेदना से

जिनका नाता है

वही अकविता में भी

कवित्व समझ पाते हैं। 

——————————————

लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश

writer and poet-Deepak raj kukreja “Bharatdeep”,Gwalior madhya pradesh

संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर  

athor and editor-Deepak  “Bharatdeep”,Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.शब्दयोग सारथी पत्रिका
५.हिन्दी एक्सप्रेस पत्रिका 
६.अमृत सन्देश  पत्रिका

Post a comment or leave a trackback: Trackback URL.

टिप्पणियाँ

  • Rekha  On 06/12/2014 at 22:27

    सत्य वचन .

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

%d bloggers like this: