सवाल उठा रहे जहान की हालातों पर
वह अक्लमंद लोग जिनको जवाब देने हैं,
बहस होती उनमें पर्दे पर विज्ञापनों के बीच
मगर फैसला लापता है
जुबान से निकले शब्दों के
मतलब अक्लमंदों से भी लेने हैं।
कहें दीपक बापू जहान की मुसीबतों का हल
किसी फरिश्ते के पास भी नहीं मिल सकता
फिर भी कागजी नायक तैयारी करते दिखते हैं
हर कोई टाल रहा असली मुद्दे
क्योंकि लोगों के मसले बहुत पैने हैं।
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है
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja “”Bharatdeep””
Gwalior, madhyapradesh
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