पर्दे पर चलती खबर -हिंदी व्यंग्य कविता


नित नये स्वांग रचें,

अपने ही सच से आप बचें,

जिंदगी में हर पल एक नया शगूफा छोड़कर

सरल है स्वयं को  बहलाना

मौका मिले तो दूसरे को भी बरगलाना।

कहें दीपक बापू

पर्दे पर चलती खबर

फिल्म की तरह बनी लगती हैं,

पात्रों की अदायें बाद में हुई 

पहले लिखी लगती है,

जब काम न बनता हो अपने आप से

अस्त्र शस्त्रों को पास में दबाकर

भीड़ में हमदर्दी पाने के लिये

अच्छा है चिल्लाने का बहानां

………………………………..

 कवि एवं लेखक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’

ग्वालियर, मध्य प्रदेश

कवि, लेखक और संपादक-दीपक “भारतदीप”,ग्वालियर 

poet, writer and editor-Deepak “BharatDeep”,Gwalior

Post a comment or leave a trackback: Trackback URL.

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

%d bloggers like this: