देश के विकास के लिए मंत्र जपें-हिंदी आध्यामिक चिंत्तन


       आज भारत में चल हिन्दी टीवी चैनलों पर चल रहे कार्यक्रमों को देखा जाये तो लगेगा कि हमारे देश में केवल युवाओं की  इश्क बाज़ी, क्रिकेट, फिल्म और तथा प्रशासनिक घोटालों के अलावा अन्य कोई विषय नहीं है। सबसे बड़ी बात तो यह मान ली गई लगती है कि आम आदमी की कोई स्वयं  की  सोच नहीं है। उसकी कोई  आवाज़ नहीं है। प्रचार और समाज सेवा से जुड़े लोग चाहे जैसे अपने हिसाब से आम आदमी की अभिव्यक्ति प्रदर्शित करते दिखते हैं।  देश एक तरह से दो भागों में बाँट गया है। एक तरफ है इंडिया तो दूसरी तरफ हैं भारत।
    इंडिया का मुख बाहर की तरफ है तो भारत का रूप विश्व परिदृश्य से अज्ञात दिखता है। इस इंडिया में  देश के आठ दस बड़े शहर हैं जो विश्व बिरादरी से जुड़े हैं और यहीं के सामाजिक,आर्थिक,राजनीतिक तथा धार्मिक शिखर पर विराजमान लोग और उनके  पालित विद्वान बुद्धिजीवी जैसा देश का रूप दिखा रहे हैं वैसा ही सभी देख रहे हैं।  इतना ही नहीं देश के अंदर भी यही लोग भाग्य विधाता बना गए हैं।  यह सब बुरा नहीं होता अगर स्वार्थवाश कार्य करने वाले इन लोगों  की बुद्धि संकुचित और शारीरिक क्षमता सीमित नहीं होती।  एक बात निश्चित है कि स्वार्थ मनुष्य को संकीर्ण और सीमित क्षमता वाला बना देता हैं इसलिए  इन शिखर  पुरुषों से यह अपेक्षा तो करनी ही नहीं चाहिए कि वह अपने दृष्टिकोण  यह u को कभी व्यापक रखकर काम करें क्योंकि उन्होंने हमेशा ही दायरों में रहकर जीवन बिताया है।  यह इनके  लिए संभव ही नहीं है।  कहा जाता है जो  देह के पास हैं वही दिल के पास है।  बड़े शहरों में यही शिखर पुरुष और इनके पालित बुद्धिमान रहते हैं।  इनके पास सारी सुविधाएँ हैं जो इन्होने सारे देश से कमाई हैं मगर अपने पास स्थापित वैभव के इनको कुछ नहीं दिखता।  यह सब भी स्वीकार्य होता  अगर पूरे देश को प्रभैत करने का माद्दा इनके पास नहीं होता।
        इन्हीं शिखर पुरुषों के पास देश का  भविष्य और व्यवस्था को प्रभावित करने वाली शक्ति  है जिसका उपयोग  यह अपने पालित बुद्धिजीवियों कि राय से तय करते हैं।  यह दोनों मिलकर एक दुसरे के हितों की चिंता के अलावा कुछ नहीं करते।  इनका  दावा यह कि यह आम आदमी को जानते हैं। दूर की बात क्या  बड़ी इमारतों में रहने वाले इन लोगों को अपने ही बड़े शहरों के छोटे लोगों का ज्ञान नहीं है।  समाज, कला, अर्थ, धर्म   और प्रबंध के क्षेत्र में कार्यरत लोग आमजन निराश है। देश में जो निराशा और हताशा का वातावरण हैं उसके लिए जिम्मेदार कौन है? इस पर कोई विचार कोई नहीं करता ।
        सच बात तो यह कि इसके लिए हमारे देश  के वही आमजन जिम्मेदार  हैं जो हमेशा  ही इन शक्तिशाली, वैभवशाली और ऊंची जगहों पर बैठे लोगों की तरफ मूंह किए बैठे रहते हैं, जिससे इनको अपनी विशिष्टता का बोध होता है जिससे  यह उदार होने की बजाय आत्ममुग्ध हो जाते हैं।  आमजन उनमें अपने वैभव का अहंकार भरते हैं। यही कारण  है की   दौलत, शौहरत  और ताकत में मदांध यह लोग अपने कार्यों सामान्य  कार्यों में भी विशिष्टता की अनुभूति  कराना  नहीं भूलते।  सच बात तो यह है देश भगवान भरोसे चल रहा है। अगर इसी तरह चलता रहा तो आगे हालात  और कठिन होने वाले हैं।  फिर भी हम मानते हैं हमारी  भूमि देव भूमि है और वही इसकी रक्षा करते हैं।  उनमें वह शक्ति  है जो इस अपनी भूमि की रक्षा के लिए अदृश्य रहकर भी काम करते  हैं और समय आने पर किसी की बुद्धि और ताकत कम या ज्यादा  आकर अंतत: हमारी रक्षा करेंगे।  वेदों में इस तरह की ऐसी अनेक प्रार्थनाएँ हैं उनमें से रोज एक जपना चाहिए।  हमारा मानना है उससे लाभ अपने को तो होगा ही पूरे समाज को भी होगा। अब यह नहीं सोचना चाहिए कि इससे  तो उन लोगों को भी लाभ होगा जो प्रार्थना नहीं करते।  हम जब शिखर पुरुषों और उनके पालित बुद्धिजीवियों पर संकीर्ण होने का संदेह करते हैं तब अपने व्यापक दृष्टिकोण अपनाकर उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। जय श्री राम, जय श्री कृष्ण, जय श्री शिव शंकर,हरिओम।
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
witer ane poet-Deepak Raj Kukreja “Bharatdeep”
Gwalior, madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर

hindi poet,writter and editor-Deepak ‘Bharatdeep’,Gwalior

http://dpkraj.blgospot.com

यह आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप का चिंतन’पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।

अन्य ब्लाग

1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका

2.अनंत शब्दयोग

3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका

4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका5.दीपक बापू कहिन

6.हिन्दी पत्रिका 

७.ईपत्रिका 

८.जागरण पत्रिका 

९.हिन्दी सरिता पत्रिका

 

Post a comment or leave a trackback: Trackback URL.

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

%d bloggers like this: