जमाने को बदल देंगे
यह ख्याल अच्छा है
पर कोई चाबुक नहीं
किसी इंसान के पास
जिससे दूसरे का ख्याल बदल दे।
अमीरी खूंखार ख्याल लाती है,
कहर बरपाने के कदमों में
ताकत का सबूत पाती है,
गरीबी मदद के लिये
भटकाती है इधर से उधर,
दरियादिली के इंतजार में खड़े टूटे घर,
न बदलती किस्मत
न होती हिम्मत
बस उम्मीद जिंदा रहती है कि
शायद कोई हालात बदल दे।
यह ख्याल अच्छा है
पर कोई चाबुक नहीं
किसी इंसान के पास
जिससे दूसरे का ख्याल बदल दे।
अमीरी खूंखार ख्याल लाती है,
कहर बरपाने के कदमों में
ताकत का सबूत पाती है,
गरीबी मदद के लिये
भटकाती है इधर से उधर,
दरियादिली के इंतजार में खड़े टूटे घर,
न बदलती किस्मत
न होती हिम्मत
बस उम्मीद जिंदा रहती है कि
शायद कोई हालात बदल दे।
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak ‘Bharatdeep’,Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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टिप्पणियाँ
हालत अगर बदल दी, इस अहले जमाने की /
ईंटें कहां से लाओगे, बिल्डिन्ग को बनाने की //
आलम में सभी नन्गे हैं, पर्दे में कौन है ?
क्यों सिर खपा रहे हो, जहमत में फसाने की //
बेहतर है भूल जाओ, कानों में रूई डालो /
क्या है कोई जरूरत, लोगों को जगाने की ?
Dil Se Mai Teri Ibadat Karuga,
Jab Bhi Karuga “Mohbbat” Karuga,
Jab Hmne hi “khud” ko Samjha Hi Nahi,
Gairo Se Kaise Sikayat Karuga,/……
AJAY SAWAN,UP
kya baat hai acha laga