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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
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टिप्पणियाँ
वाह वाह… वैसे तो सही ही कहा… अपन नें भी एक साथ कोई दो लाख रुपये ही देखे हैं। चलिए हम भी ज़ेब में ए टी एम कार्ड ज़रुर रखेंगे ।
बहुत ही बेहतर व्यंग्य.. मजा आ गया पढ कर…
aap ki kavita pad kar khushi mili agar avsar mila to mai aap ko apni likhi kavita aap ko aap ki side par mail karnga mai bhi apni likhi rachna ki ak pustak nikalne ka paryas kar raha hu aap mujhe aashirwad de ki mai apne maksad me kamyab ho jau