खतरा है जिनसे जमाने को, पहरा उनके घर सजा है-हिन्दी हास्य व्यंग्य कवितायें


इंसान कितना भी काला हो चेहरा
पर उस पर मेअकप की चमक हो,
चरित्र पर कितनी भी कालिख हो
पर उसके साथ दौलत की महक हो,
वह शौहरत के पहाड़ पर चढ़ जायेगा।
बाजार में बिकता हो बुत की तरह जो इंसान
लाचार हो अपनी आजाद सोच से भले
पर वह सिकंदर कहलायेगा।
खतरा है जिनसे जमाने को
उनके घर सुरक्षा के पहरे लगे हैं,
लोगों के दिन का चैन
और रात की नींद हराम हो जाती जिनके नाम से
उनके घर के दरवाजे पर पहरेदार, चौबीस घंटे सजे हैं।
कसूरवारों को सजा देने की मांग कौन करेगा
लोग बेकसूर ही सजा होने से डरने लगे हैं।
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बाजार में जो महंगे भाव बिक जायेगा,
वही जमाने में नायक कहलायेगा।
जब तक खुल न जाये राज
कसूरवार कोई नहीं कहलाता,
छिपायेगा जो अपनी गल्तियां
वही सूरमा कहलायेगा।
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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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यह कविता/आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप की अभिव्यक्ति पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
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टिप्पणियाँ

  • kamal srivastava  On 30/03/2010 at 14:03

    gt

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