अकारं चाप्युकारं च मकारं च प्रजापतिः।
वेदत्रयान्निरदुहभ्दूर्भूवः स्वारितीतिच।।
हिन्दी में भावार्थ-प्रजापित ब्रह्माजी ने वेदों से उनके सार तत्व के रूप में निकले अ, उ तथा म् से ओम शब्द की उत्पति की है। ये तीनों भूः, भुवः तथा स्वः लोकों के वाचक हैं। ‘अ‘ प्रथ्वी, ‘उ‘ भूवः लोक और ‘म् स्वर्ग लोग का भाव प्रदर्शित करता है।
वेदत्रयान्निरदुहभ्दूर्भूवः स्वारितीतिच।।
हिन्दी में भावार्थ-प्रजापित ब्रह्माजी ने वेदों से उनके सार तत्व के रूप में निकले अ, उ तथा म् से ओम शब्द की उत्पति की है। ये तीनों भूः, भुवः तथा स्वः लोकों के वाचक हैं। ‘अ‘ प्रथ्वी, ‘उ‘ भूवः लोक और ‘म् स्वर्ग लोग का भाव प्रदर्शित करता है।
एतदक्षरमेतां च जपन् व्याहृतिपूर्विकाम्।
सन्ध्ययोर्वेदविविद्वप्रो वेदपुण्येन युज्यते।।
हिन्दी में भावार्थ- जो मनुष्य ओंकार मंत्र के साथ गायत्री मंत्र का जाप करता है वह वेदों के अध्ययन का पुण्य प्राप्त करता है।
सन्ध्ययोर्वेदविविद्वप्रो वेदपुण्येन युज्यते।।
हिन्दी में भावार्थ- जो मनुष्य ओंकार मंत्र के साथ गायत्री मंत्र का जाप करता है वह वेदों के अध्ययन का पुण्य प्राप्त करता है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-श्रीगीता में गायत्री मंत्र के जाप को अत्यंत्र महत्वपूर्ण बताया गया है। उसी तरह शब्दों का स्वामी ओम को बताया गया है। ओम, तत् और सत् को परमात्मा के नाम का ही पर्याय माना गया है। श्रीगायत्री मंत्र के जाप करने से अनेक लाभ होते हैं। मनु महाराज के अनुसार ओम के साथ गायत्री मंत्र का जाप कर लेने से ही वेदाध्ययन का लाभ प्राप्त हो जाता है। हमारे यहां अनेक प्रकार के धार्मिक ग्रंथ रचे गये हैं। उनको लेकर अनेक विद्वान आपस में बहस करते हैं। अनेक कथावाचक अपनी सुविधा के अनुसार उनका वाचन करते हैं। अनेक संत कहते हैं कि कथा सुनने से लाभ होता है। इस विचारधारा के अलावा एक अन्य विचाराधारा भी जो परमात्मा के नाम स्मरण में ही मानव कल्याण का भाव देखती है। मगर नाम और स्वरूप के लेकर विविधता है जो कालांतर में विवाद का विषय बन जाती है। अगर श्रीमद्भागवत गीता के संदेश पर विचार करें तो फिर विवाद की गुंजायश नहीं रह जाती। श्रीगीता में चारों वेदों का सार तत्व है। उसमें ओम शब्द और गायत्री मंत्र को अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया गया है।
आजकल के संघर्षपूण जीवन में अधिकतर लोगों के पास समय की कमी है। इसलिये लोगों को व्यापक विषयों से सुसज्ज्ति ग्रंथ पढ़ने और समझने का समय नहीं मिलता पर मन की शांति के लिये अध्यात्मिक विषयों में कुछ समय व्यतीत करना आवश्यक है। ऐसे में ओम शब्द के साथ गायत्री मंत्र का जाप कर अपने मन के विकार दूर करने का प्रयास किया जा सकता है। ओम शब्द और श्रीगायत्री मंत्र के उच्चारण के समय अपना ध्यान केवल उन पर ही रखना चाहिये-उनके लाभ के लिये ऐसा करना आवश्यक है।
संकलक,लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://anant-shabd.blogspot.com————————
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टिप्पणियाँ
meri dimag kharab rehta hai jindgi jeene me prob. ho rahi hai dil bhut kamjoor hai me kya karo
I want about gayatrimantra & gayatrimaa
pleas my contrect in e-mail iedi new hindi gayetri manter book and the book paket and all the gayetri manter
Gud.
mujhe gussa bahut atta hai meri married life main prob a rahi hai main kya karo
minakshi ji,aap sayam se kamm le ek dusre ko samjhe ,abhi jaisa chal raha hai,use kismat samjhar or bhagwan ke upar vishvas karen-
jai sri ram
i am muscular destrophy patient mein is beemari se paresan ho gaya hun can you help me
i like it i will try
OM GUNJA, GUNJA OM
i am suffer from blood circulation disorder, please tell me meditation technique and healing mantra
ब्लॉगर्स मीटिंग
8 दिसंबर 2011 के ‘हिंदुस्तान’ दैनिक में ब्लॉगर्स मीट के बारे में प्रकाशित
आर्टिकल पढ़कर लगा था कि संसद मार्ग में हिन्दी ब्लॉगर्स मीटिंग होने
जा रही थी, लेकिन वहाँ जाने पर देखा कि वह हिन्दी ब्लॉगर्स मीटिंग नहीं
थी l
वहाँ सभी अंग्रेजी में बोल रहे थे और आयोजक कंपनी अपने
उत्पाद का प्रचार कर रही थी l
हमें अविलंब हिन्दी ब्लॉगर्स की एक वृहत मीटिंग बुलानी
चाहिए, जिसमें ब्लॉगर्स की समस्या, उसका समाधान, ब्लॉग
लेखन एवं उसके स्तर पर व्यापक बहस हो l
ब्लॉग लेखन अन्य लेखन की तरह एक संस्कृति है, जिससे
जनता उसी तरह प्रभावित होती है जिस तरह अन्य रचनाओं से l
हमें विशाल हिन्दी भाषा – भाषियों की भाषा में, उनके हित
के लिए कार्य करना है न कि विदेशी भाषा में और न ही व्यापारियों
जैसा l भारत में अंग्रेजी भाषा का उपयोग स्वार्थपरता के सिवाय कुछ
भी नहीं है l
ब्लॉग लेखन ने हमें अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता दी है l आज
हम अपनी रचनाओं के प्रकाशन के लिए किसी अन्य के मोहताज नहीं हैं l
हम स्वयं प्रकाशित हैं l इसे जन कल्याण में लगाना है l
जीतेन्द्र जीत
मो. 09717725718
ई – मेल : jeetendra.jeet.letter@gmail.com
http:// kamalahindi.blogspot.com
The way you can’t sell a product without key features, same way Mantra can not be delivered to human without explaining logic of benefits.Study all Mantras and see what they say! One can quite mind with breathing techniques if needed.
very nice
Shaileshyadav.com
Meri marregd ho gai h mi 21 sal ki hu mera Zp chandrapur mai wetting h muze wo job milega
I am interested in spiritual. It is quite right that Gayatri is our Vedmata. Lord Krishna said in Gita that I am gayatri mantra in all mantras. Moreover, I am connected with Ramanand sampraday.