सच कहते हैं
जिंदगी के फैसले
कभी जंग से नहीं होते।
पर्दे के पीछे
तय हो जाते फैसले ले देकर
कटवाते है वही सिर अपना
जो इससे बेखबर होते।
कहीं गद्दारी तो
कही वफदारी बिक जाती है
दौलत और शौहरत वह शय है
जो ईमान भी खरीद लाती है
खून खराबे के आदी होते कायर
बहादुर तो जमाने के साथ
बांटकर खाने वाले होते।
जिंदगी की जंग जीतते हैं वही लोग
जो जमाने का दिल जीत चुके होते।
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इंसान के चेहरे बदल जाते हैं
नहीं बदलती चाल।
खून खराबा करने वाले
हाथ बदल जाते हैं
वही रहती तलवार और ढाल।
इंसान से ही उगे इंसान
संभालते उसका खानदान
जमाने को काबू करने का मिला जिनको वरदान,
पांव हमेशा पेट की तरफ ही मुड़ता है,
दौलत से ही किस्मत का साथ जुड़ता है,
बड़े आदमी करते दिखावा
जमाने का भला करने का
मगर लूटते हैं गरीब का दान,
छोटे आदमी के हिस्से आता है अपमान,
थामे अपनी अगली पीढ़ी का झंडा
लुटेरे लूट रहे जमाने को
लगे हैं कमाने को
अपनी दौलत शौहरत देकर
अपनी औलाद में जिंदा
रहने की ख्वाहिश पाले
मौत की सोच पर लगा ताले
दौड़ जा रहे हैं इज्जतदार लोग,
लिये साथ पाप और रोग
वाह री कुदरत! तेरा कमाल।
लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
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टिप्पणियाँ
बहुत खूब भाई
आखिरी लाइनों पर गौर किया.सत्य……..सत्य……….इज़्ज़तदार लोग……लिए पाप
अंतर्विरोधों से उलझती एक बेहतर प्रस्तुति…
आभार….
I am the best