यो मोहन्मन्यते मूढो रक्तेयं मयि कामिनी।
स तस्य वशगो मूढो भूत्वा नृत्येत् क्रीडा-शकुन्तवत्।।
हिंदी में भावार्थ-नीति विशारद चाणक्य के अनुसार कुछ पुरुषों में विवेक नहीं होता और वह सुंदर स्त्री से व्यवहार करते हुए यह भ्रम पाल लेते हैं कि वह वह उस पर मोहित है। वह भ्रमित पुरुष फिर उस स्त्री के लिये ऐसे ही हो जाता है जैसे कि मनोरंजन के लिये पाला गया पक्षी।
मातृवत् परदारांश्चय परद्रव्याणि लोष्ठवत्।
आत्मवत् सर्वभूतानि यः पश्यति स नरः।।
हिंदी में भावार्थ-दूसरों की पत्नी को माता तथा धन को मिट्टी के ढेले की भांति समझना चाहिये। इस संसार में वह यथार्थ रूप से मनुष्य है जो सारे प्राणियों को अपनी आत्मा की भांति देखने वाला मानता है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-हर व्यक्ति को अपने अंदर विवेक धारण करना चाहिये। कुछ लोग स्त्रियों के विषय में अत्यंत भ्रमित होते हैं। उनको लगता है कि कोई स्त्री उनसे अच्छी तरह बात कर रही है तो इसका आशय यह है कि वह उन पर मोहित है-यह उनका केवल एक भ्रम है। स्त्रियों का स्वभाव तथा वाणी कोमल होती है और इसी कारण वह हमेशा मृदभाषा से पुरुषों का मन मोह लेती हैं पर कुछ अज्ञानी और अविवेकी पुरुष यह भ्रम पाल कर अपने आपको ही कष्ट देते हैं कि वह उनके प्रति आकर्षित है।
नीति विशारद चाणक्य ऐसे व्यक्तियों की तरफ संकेत करते हुए कहते हैं कि दूसरे की स्त्री को माता के समान समझना चाहिये। उसी तरह दूसरे के धन को मिट्टी का ढेला समझना चाहिये। वह यह भी कहते हैं कि इस संसार में वही मनुष्य श्रेष्ठ है जो सभी लोगों को देह नहीं बल्कि इस संसार में दृष्टा की तरह उपस्थित आत्मा ही मानता है।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप
टिप्पणियाँ
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(RAJESH SHARMA)
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i most like chanakya policy. i have understood many thing in my life. i have changed in my life. thank you so much.
आचार्य चाणक्य का यह सूत्र् वाक्य सत्य तो उतना ही है,जितना कि सूर्य का पूर्व में उदय होना. यह इस देश का दुर्भाग्य है कि जिस देश में आचार्य चाणक्य जेसे विद्वान पैदा हुए,उस देश मे आज दूसरों के धन पर ही और वो भी खाशतौर पर जनता के धन पर कुद़ष्टि डाली जा रही है. खुले हाथों से पराए धन को लूटने मे सब के सब लगे हुए है.
किसी को भी कोई शर्म नहीं. ऐसा लगता है कि आचार्य की यह बात आज के समाज पर यदि लागू कर दी जाए तो शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा बचे जो अपने बच्चों को मुंह भी दिखाने लायक रहा हो.
छोटे से लेकर बडे तक और सिपाही से लेकर सरकार तक सब की नजर आज तो केवल और केवल पराए धन पर ही गडी हुई है.
इसलिए ऐसे वाक्य पढकर मन मे ऐेसे भाव जरूर पैदा होते है कि उस युग के लोग वाकई कितने भाग्यवान रहे होंगे,जिस युग में चाणक्य जैसे प्रजाहितेषी महामात्य थे
के.आर.चौहान
Always Remember Afore Said Quatation
mai un jaisa ban gaya hoon.kyunki mujhe mahan banane ki adat ho gayee hi
mujhe chankay niti bahut achhi lagi or ab me un ka anucharan kar raha hu.
propkar me hi aapna hit he.
this is my ideal person.
i am impressed about chanakya niti.
we ought to contain chanakya niti in life.
i want to get more knowledge about chanakya niti
i like the quotes… well said.
हर व्यक्ति को अपने अंदर विवेक धारण करना चाहिये। कुछ लोग स्त्रियों के विषय में अत्यंत भ्रमित होते हैं। उनको लगता है कि कोई स्त्री उनसे अच्छी तरह बात कर रही है तो इसका आशय यह है कि वह उन पर मोहित है-यह उनका केवल एक भ्रम है। स्त्रियों का स्वभाव तथा वाणी कोमल होती है और इसी कारण वह हमेशा मृदभाषा से पुरुषों का मन मोह लेती हैं पर कुछ अज्ञानी और अविवेकी पुरुष यह भ्रम पाल कर अपने आपको ही कष्ट देते हैं कि वह उनके प्रति आकर्षित है।
नीति विशारद चाणक्य ऐसे व्यक्तियों की तरफ संकेत करते हुए कहते हैं कि दूसरे की स्त्री को माता के समान समझना चाहिये। उसी तरह दूसरे के धन को मिट्टी का ढेला समझना चाहिये। वह यह भी कहते हैं कि इस संसार में वही मनुष्य श्रेष्ठ है जो सभी लोगों को देह नहीं बल्कि इस संसार में दृष्टा की तरह उपस्थित आत्मा ही मानता है।
not-kya baat kahi,ye baat bilkul sau aana sach hai
Mujhe chankya niti bahute pasand aai main ise apne
jeevane main utarene kii khoshish karunge.
MUJHE CHANKYA NITI BAHUT ZYADA PSAND HAI.AUR JEEVAN MEIN CHANKYA NITI HI APNANE SE JEEVAN SAFAL HO JATA HAI
aaj hamare desh ko ak or chankya ki zarurt he kyoki ek vo samay tha jab log sone ki thali me khate the or aaj hamare desh ke kahi log khane ki aash lagae bhukhe so jate he agar aaj sabhi chankyaniti apnale to phIR se bharat me suvjrna yug aa sakty he
Aaj ke time pr chankya ka gya pyase ko pani saman he hume yah pani pina chahiye