द्वावेव न विराजेते विपरीतेन कर्मणा।
गृहस्थश्च निरारम्भः कार्यवांश्चैव भिक्षुकः।।
हिंदी में भावार्थ-नीति विशारद विदुर जी कहते हैं कि जो अपने स्वभाव के विपरीत कार्य करते हैं वह कभी नहीं शोभा पाते। गृहस्थ होकर अकर्मण्यता और सन्यासी होते हुए विषयासक्ति का प्रदर्शन करना ठीक नहीं है।
द्वाविमौ कपटकौ तीक्ष्णौ शरीरपरिशोषिणी।
यश्चाधनः कामयते पश्च कुप्यत्यनीश्वरः।।
हिंदी में भावार्थ-अल्पमात्रा में धन होते हुए भी कीमती वस्तु को पाने की कामना और शक्तिहीन होते हुए भी क्रोध करना मनुष्य की देह के लिये कष्टदायक और कांटों के समान है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या -किसी भी कार्य को प्रारंभ करने पहले यह आत्ममंथन करना चाहिए कि हम उसके लिये या वह हमारे लिये उपयुक्त है कि नहीं। अपनी शक्ति से अधिक का कार्य और कोई वस्तु पाने की कामना करना स्वयं के लिये ही कष्टदायी होता है।
न केवल अपनी शक्ति का बल्कि अपने स्वभाव का भी अवलोकन करना चाहिये। अनेक लोग क्रोध करने पर स्वतः ही कांपने लगते हैं तो अनेक लोग निराशा होने पर मानसिक संताप का शिकार होते हैं। अतः इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि हमारे जिस मानसिक भाव का बोझ हमारी यह देह नहीं उठा पाती उसे अपने मन में ही न आने दें।
कहने का तात्पर्य यह है कि जब हम कोई काम या कामना करते हैं तो उस समय हमें अपनी आर्थिक, मानसिक और सामाजिक स्थिति का भी अवलोकन करना चाहिये। कभी कभी गुस्से या प्रसन्नता के कारण हमारा रक्त प्रवाह तीव्र हो जाता है और हम अपने मूल स्वभाव के विपरीत कोई कार्य करने के लिये तैयार हो जाते हैं और जिसका हमें बाद में दुःख भी होता है। अतः इसलिये विशेष अवसरों पर आत्ममुग्ध होने की बजाय आत्म चिंतन करते हुए कार्य करना चाहिए।
…………………………….
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप
-
Join 643 other subscribers
-
अध्यात्मिक पत्रिकाय
-
अन्य पत्रिकायें
-
खास पत्रिकायें
-
मेरे अन्य ब्लोग
- अनंत शब्दयोग 0
- दीपक बापू कहिन 0
- दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका 0
- दीपक भारतदीप की हिंदी पत्रिका deepak bharatdeep 0
- दीपक भारतदीप का चिंतन 0
- दीपक भारतदीप का चिंतन-पत्रिका 0
- दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका 0
- दीपक भारतदीप की अभिव्यक्ति पत्रिका 0
- दीपक भारतदीप की शब्द प्रकाश-पत्रिका 0
- दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका 0
- दीपक भारतदीप की शब्द्लेख पत्रिका 0
- hindi magazine 0
-
मेरे पसंदीदा ब्लोग
-
Join 643 other subscribers
-
समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-
पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका -
नवीन रचनाएं
- एशियाई हॉकी में पाक पर जीत से प्रचार माध्यमों में खुशी दिखनी ही थी-हिन्दी लेख
- धार्मिक ग्रंथ की बात पहले समझें फिर व्यक्त करें-हिन्दी लेख
- 140 शब्दों की सीमा से अधिक twitlonger पर लिखना भी दिलचस्प
- एकलव्य की तरह श्रीमद्भागवतगीता का अध्ययन करें-हिन्दी लेख
- इंसान हीरे नहीं होते-हिन्दी व्यंग्य कवितायें
- #आमआदमी की उपेक्षा करना अब #संभव नहीं-#हिन्दीचिंत्तनलेख
- मैली गंगा और भरी थैली-हिन्दी कवितायें
- जहर तो न पकाओ-हिन्दी कवितायें
- देवताओं ने सीखें सफलता का मंत्र-हिन्दी चिंत्तन लेख
- अज्ञान ही समस्त संकट का कारण-पतंजलि योग साहित्य
- क्रिकेट खेल बिकने वाली सेवा मान लें तो कोई समस्या नहीं-हिन्दी चिंत्तन लेख
- सहज योगी उपेक्षासन करना भी सीखें-21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष हिन्दी चिंत्तन लेख
- हर विषय पर योग दृष्टि से विचार करें-21 जून विश्व योग दिवस पर विशेष लेख
- भक्ति में जादू का मिश्रण-हिन्दी व्यंग्य कवितायें
- सत्य से लोग घबड़ाते हैं-हिन्दी व्यंग्य कविताये
-
लोकप्रियता का अंक
-
facebook
-
लोकप्रियता
Get Yahoo! WebRank For:
A to you by Digital Point Solutions
टिप्पणियाँ
Aaj Ke Vidur Niti Ke Bhavartha bahut jayada ache hai, Ye mai aapne jeevan mai kuch acha karne ki salah dete hai.
YES THIS IS ABSOLUTELY TRUE
Gyan ka abhiman hota hai,
abhiman ka gyan nhi hota.
yah vidir niti javan jine ki kla sikhati he yah bahut achhi he
yah vidur niti vastav me sahi wekttya dikhati hai jay bhart mata ki jay jay .jin ho ese mahapurso ko bhart bhumi par janm diya.jay bhart maa.ab bhi ase mahapurso ki requrement maa……………
vidhur niti is a universal truth.
I LIKE VIDHUR NITHI VERY VERY MUCH.
DO SEND ALWAYS SOME QUOTES.
REGARDS
I like bidur niti yo niti thika chha.
VIDHUR NITHI HAR INSHAN KE LIYE HAI
I like Vidur Niti
kya aaj k kalyog me aur duwapar me samay ke aanter k wajah se kuch nitiyon badal nhi gai hai…