उनके लिये जज्बात ही होते व्यापार-हिन्दी शायरी


कुछ लोग कुछ दिखाने के लिये बन जाते लाचार
अपनी वेदना का प्रदर्शन करते हैं सरेआम
लुटते हैं लोगों की संवेदना और प्यार
छद्म आंसू बहाते
कभी कभी दर्द से दिखते मुस्कराते
डाल दे झोली में कोई तोहफा
तो पलट कर फिर नहीं देखते
उनके लिये जज्बात ही होते व्यापार

घर हो या बाहर
अपनी ताकत और पराक्रम पर
इस जहां में जीने से कतराते
सजा लेते हैं आंखों में आंसु
और चेहरे पर झूठी उदासी
जैसे अपनी जिंदगी से आती हो उबासी
खाली झोला लेकर आते हैं बाजार
लौटते लेकर घर दानों भरा अनार

गम तो यहां सभी को होते हैं
पर बाजार में बेचकर खुशी खरीद लें
इस फन में होता नहीं हर कोई माहिर
कामयाबी आती है उनके चेहरे पर
जो दिल में गम न हो फिर भी कर लेते हैं
सबके सामने खुद को गमगीन जाहिर
कदम पर झेलते हैं लोग वेदना
पर बाहर कहने की सोच नहीं पाते
जिनको चाहिए लोगों से संवेदना
वह नाम की ही वेदना पैदा कर जाते
कोई वास्ता नहीं किसी के दर्द से जिनका
वही बाजार में करते वेदना बेचने और
संवेदना खरीदने का व्यापार
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टिप्पणियाँ

  • sri  On 22/08/2008 at 00:04

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  • RAZIA MIRZA  On 22/08/2008 at 05:21

    बिल्कुल सही कहा है आपने।
    इस रचना के लिये धन्यवाद।

  • मुकेश सोनी  On 07/05/2016 at 21:18

    राज़ी है हम उसी में जिसमें तेरी रज़ा है
    इसमें भी वाह वाह है उसमें भी वाह वाह है
    मुश्किलों में रहने वालों को किस बात कि प्रवाह है
    इसमें भी वाह वाह है उसमें भी वाह वाह है

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