यूं तो चमकता चाँद देखकर
अपना दिल बहला लेते
पर जब आकाश में नहीं दिखता वह
छोटा चिराग जला लेते हैं
जिन्दगी में अपने
रौशनी के लिए क्यों
किसी एक के आसरे रहें
इसलिए कई इंतजाम कर लेते हैं
इंसानों का भी क्या भरोसा
उजियाले में करते हैं
हमेशा साथ निभाने का
अँधेरा ही होते मुहँ फेर लेते हैं
—————————————
मांगी थी उनसे कुछ पल के लिए रौशनी उधार
उन्होंने अपना चिराग ही बुझा दिया
हमारा रौशनी में रहना
उनको कबूल नहीं था
अँधेरे को अपने पास इसलिए बुला लिया
इंसान कभी चिराग नहीं हो सकते यह बता दिया
————————
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टिप्पणियाँ
जीवन की सच्चाई से रुबरू कराती आपकी कविता पसन्द आई…..लिखते रहें
Jab main ghar se nikla
mere kuch arman the
ek taraf haddiyon ke dher
ek taraf shamshan the
jab mera pair ek haddi se takraya
to uske ye byan the
a musafir dekhkar chal
hum bhi kabhi ensan the
Tute dil ka hain magar
ye sachha aehasas hain;
jisane loota hain muje
wo mera apana khas hain,
din tarikhon ke siva jootha
sab etihas hain,
booj payegi kis tarah
ye to sadiyon ki pyas hain
acha ha acha ha…………………………. lagia rho