मेरा यह ब्लाग आज पढ़े गये पाठों की संख्या की दृष्टि से दस हजार संख्या पार गया। कुछ लोगों के लिए यह मामूली बात है। अंग्रेजी के कई ब्लाग पर मैं आठ लाख व्यूज देख चुका हूं। हिंदी में मेरा वर्डप्रेस का यह चैथा ब्लाग है जिसने इस संख्या को पार किया। दो पहले बीस हजार की संख्या पार कर चुके हैं और अब एक अन्य भी बीस हजार की तरफ बढ़ रहा है। इसके साथ ही बना मेरा एक दूसरा ब्लाग भी दस हजार के निकट आ गया है। जब वह इस संख्या को पार करेगा तो जो लिखूंगा उसे शायद कुछ लोग पसंद नहीं करेंगे क्योंकि वह ब्लाग कहीं अपमानित हुआ था।
अगर कोई अंग्रेजी पाठक इसको पढ़ेगा तो हंसेगा पर हिंदी में केवल लिखने के दम पर लोकप्रिय होना कोई मामूली बात नहीं है। अगर आप मुझसे पूछेंे तो मुझे अपने पाठकों की पढ़ती संख्या देखकर खुशी होती है। पैसा कमाने के लिए मैं कोई दांव पैंच नहीं आजमा सकता इसलिये मुझे इस पर ही खुश होना चाहिए कि मेरे सभी ब्लाग पर पढ़े गये पाठों की संख्या चार से छह सौ के बीच होती है। अब यह मुुझे पता नहीं है कि वह किसी प्रकार के प्रायोजन के तहत आते हैं या मेरे लिखे हुए को पढ़ना ही उन पाठकों का उद्देश्य है।
कुछ ब्लाग लेखक अब साहित्यकारों पर बरस रहे हैं। वह हंस रहे हैं कि हिंदी के ब्लाग सभी एक जगह दिखाये जाने वाले फोरमों पर उनके पाठक नगण्य है। वह असफल साहित्यकारों के हिंदी ब्लाग जगत में आने से बहुत दुखी है। उनका दोष नहीं है पर उन्हें समझाना चाहता हूं कि हिंदी के जो साहित्यकार बिचारे आज तक सफलता का मूंह नहीं देख सके वह अगर अंतर्जाल पर लिखते हैं तो क्या बुराई है? उनके ब्लाग पर टिप्पणियां नहीं होतीं फिर भी लिखते है। कमाते नहीं फिर भी पाठ रचते हैं। असफल ब्लाग लेखक या साहित्यकार कहलाने में हमें कोई शर्म नहीं है। आजकल सफलता का पैमाना है कि आपने धन कितना कमाया। अगर इन्हीं ब्लाग लेखकों की कुछ ब्लाग लेखकों सफल होने की बात मानी जाये तो इस बात की पुष्टि होती है कि उनको पैसा मिलता है। आठ-दस ब्लाग लेखक ही सफल हैं।
लिखने वाले के लिय इतना डरावना माहौल मना रखा है कि कुछ कहा नहीं जा सकता। किसी की हिम्मत नहीं है कि प्रतिकूल टिप्पणी रख सके। उल्टे भोले भाले ब्लाग लेखक ऐसे पाठों पर टिप्पणी रखते हुए पूछते हैं कि‘इसमें हमारा नाम तो नहीं!’
हम कहते हैं कि ‘हमारा नाम है लिख दो’-हम किसी के कहने पर यहां लिखने आये थे न जायेंगे। हम असफल साहित्यकार और असफल ब्लाग लेखक हैं। इतनी महंगाई में घी रूपी टिप्पणी लोगों को पिलाने वालों को तुम ताज पहना दो। हमने रोका थोड़े ही है। नीचे आंकड़े दे रहे हैं कि अगर हम इन चैपालों पर फ्लाप हैं तो फिर वह कौन लोग हैं जो हमारे पढ़ रहे हैं। हमारे पढ़ने वाले इन फोरमों पर बचाव के लिये आ नहीं सकते। अगर आये भी तो ऐसी सड़ांध में जायें हमें मंजूर नहीं। यह पाठ लिखे जाते समय 10023 में 824 इन फोरमों से हैं-मतलब 9199 कहीं अन्यत्र से आये। दो हजार पोस्ट लिखने के बावजूद ब्लाग लेखक हमारा नाम तक अखबार में प्रचारित करने से कतराते हैं। मूलतः अल्हड़ किस्म का व्यक्ति हूं इसलिये लेखक बन गया। हां, मेरे स्वर्गीय गूरू अस्थाना जी से अगर अखबार जगत में संपर्क नहीं होता तो शायद ऐसा ही रहता। उन्होंने मुझसे कहा था-‘तुम मस्त आदमी हो और मस्त लोगों का गुस्सा तेज होता है। तुम अपना गुस्सा पालना सीखो।’
वह यह भी कहते थे-‘कोई आदमी तुम्हें तस्वीर दिखाता है तो उसके पीछे देखने का प्रयास करो। हर आदमी अपने हिसाब से बोलता और लिखता है। तुम उसके पीछे क्या हो सकता है यह जानने की कोशिश करो। लोग अपना सच छिपाते है। यहीं से शूरू होती ही पत्रकार का काम।’
उन्होंने यह भी कहा था-‘किसी मत लड़ो और लड़ो तो उस लड़ाई को अंजाम तक ले जाने के कुब्बत रखो और अपने सामने वाले को घुटने टिकवा दो। तुम्हारी कलम में ताकत है और तुम ऐसा कर सकते हो।’
कभी-कभी मुझे लगता है उनका नियमित स्मरण करते रहने से मैं भी वैसा ही हो गया हूं। वह नहीं जानते थे कि मैं उनको अपने जीवन का गुरू मानने लगा था।
अपने ब्लाग पर टिप्पणियां रखने वालों को मित्र भाव से देखता हूं। अगर मेरे इस पाठ में ऐसा कुछ आ गया हो तो उस अनदेखा करें। क्षमा मांग कर उनको छोटा नहीं करूंगा। हां, मैं अपने उस ब्लाग का अपमान नहीं भूल सकता जो शायद इसी सप्ताह दस हजार को पार कर सकता है। मैं किसी पर अभद्र शब्द नहीं लिखता पर फिर भी हैरान कर सकता हूं यह भी सब लोग जानते हैं। अपने लिखे को लेकर मेरे मन में कोई अहंकार नहीं होता अगर होता तो मासूम कविताएं कहां से लिखता? यह सब लिखना जरूरी था क्योंकि बाहर लोग वास्तविकता नही बता रहे पर आम पाठक को यह बताना जरूरी है कि उनका यह असफल साहित्यकार और ब्लाग लेखक किन हालतों से जूझ रहा है? अखबारों में तमाम तरह अंतर्जाल और बाहर संपादकों और लेखकों का सम्मान होते हुए वह भी देखता और पढ़ता है तो हम उसे यह भी तो बतायें कि भईया, हिंदी को अंतर्जाल पर स्थापित करने के नाम पर हो रहे तमाशे पर हमारा नाम भी याद रखना-कोई और न ले तो तुम ही हमारा नाम लेना. वह तो लेंगे नहीं। वह यह भी जान ले कि वही मेरी ताकत है। ऐसे में अपने ब्लाग लेखक मित्रों और पाठकों का आभारी हूं।
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टिप्पणियाँ
अब तक मैने आपके ब्लाग पर ज्यादा टिप्पणी बधाई की है, आज फिर कर रहा हूँ। 🙂
हार्दिक बधाई