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विचारों की धारा-कविता
विचारों की धारा मस्तिष्क में
एकांत से हटकर भीड़ में जाकर
मन में जगह होती है बहुत
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टिप्पणियाँ
बढ़िया है.
बहुत सुन्दर व सही कविता है। ‘विचारों की धारा’ ,क्या सही परिभाषा दी है आपने !
घुघूती बासूती
पर दुःख के पल में
घड़ी बंद नजर आती है
गहरी बात । अच्छी बात ।
bhut sunder hai
एकांत से हटकर भीड़ में जाकर
भला कहां मिलती है शांति
अकेले में भी अपनों के दर्द की
याद आकर सताती है
ye baat 100percent humpar bhi lagu hai,bahut hi sundar,sahi jab tak vichar behte hai,nadiya se chanchal rehte hai,jab ruk ke unka dabka ban jata hai,durgand aati hai,ek sashakt abhivyakti ke liye bahut badhai.