प्रेमी ने प्रेमिका के मोबाइल की
घंटी बड़ी उम्मीद से बजाई
जा रही थी वह गाड़ी पर
चलते चलते ही उसने
अपने मार्ग में होने की बात उसे बताई
फिर भी वह बातें करता रहा
वह भी सुनती रही
सफर गाड़ी पर उसका चलता रहा
अचानक वह कार से टकराई
प्रेमी को भी फोन पर आवाज आई
प्रेमी ने पूछा
‘क्या हुआ प्रिये
यह कैसी आवाज आई
कोई ऐसी बात हो तो मोटर साइकिल पर
चढ़कर वहीं आ जाऊं
मुझे बहुत चिंता घिर आई’
प्रेमिका ने कहा
‘घबड़ाओ नहीं कार से
मेरी गाड़ी यूं ही टकराई
अपनी मरहम पट्टी कराकर अभी आई
करा देगा यह कार वाला उसकी भरपाई+’
प्रेमी करता रहा इंतजार
फिर नहीं प्रेमिका की कोई खबर आई
एक दिन भेजा संदेश
‘जिससे मेरी गाड़ी टकराई
उसी कार वाले से हो गयी मेरी सगाई
बहुत हैंडसम और स्मार्ट है
उसने मुझ पर बहुत दया दिखाई
इन दो पहियों की गाड़ी से
तो अब हो गयी ऊब
चार पहियों वाली गाड़ी में ही
अब घूमने की इच्छा आई’
प्रेमी सुनकर चीखा
‘यह कैसा मोबाइल है
जिसने मोहब्बत को भी बनाया
अपने जैसा
कितना बुरा किया मैंने जो
उस दिन मोबाइल की घंटी बजाइ
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नोट-यह हास्य कविता काल्पनिक है तथा इसका किसी घटना या व्यक्ति से कोई लेना-देना नहीं है। अगर किसी की कारिस्तानी से मेल हो जाये तो वही उसके लिये जिम्मेदार होगा।
टिप्पणियाँ
बढ़िया!!
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आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं इस निवेदन के साथ कि नये लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें-यही हिन्दी चिट्ठाजगत की सच्ची सेवा है.
एक नया हिन्दी चिट्ठा भी शुरु करवायें तो मुझ पर और अनेकों पर आपका अहसान कहलायेगा.
इन्तजार करता हूँ कि कौन सा शुरु करवाया. उसे एग्रीगेटर पर लाना मेरी जिम्मेदारी मान लें यदि वह सामाजिक एवं एग्रीगेटर के मापदण्ड पर खरा उतरता है.
यह वाली टिप्पणी भी एक अभियान है. इस टिप्पणी को आगे बढ़ा कर इस अभियान में शामिल हों. शुभकामनाऐं.
डा. रमा द्विवेदी
क्या बात है….अच्छा लगा 🙂