हर शाख पर उल्लू बिठा दो
जब बिजली चली जायेगी
वह तरक्की-तरक्की के नारे लगायेगा
लोग समझेंगे सब ठीक-ठाक है
अंधेरे में भला किसे तरक्की नजर आयेगी
………………………………………………………………………..
तरक्की हो रही चारों तरफ
भ्रमित लोग चले जा रहे यह सोचकर कि
कहीं हमें भी मिल जायेगी
जमीन में धंसता जा रहा है पानी
आदमी में कहां रहेगा
घर में बढ़ते कबाड़ में खोया
जब गला तरसेगा पानी को
तब उसे समझ आयेगी
पर तब तक बहुत देर हो जायेगी
…………………………………………………………..
उसने कहा
‘मैं तरक्की करूंगा
आकाश में तारे की तरह
लोगों के बीच चमकूंगा
मेरी ख्याति चारों और फैल जायेगी’
बरसों हो गये वह घूमता रहा
रोटी से अधिक कुछ हाथ नहीं आया
अब कहता है
‘‘इतनी कट गयी जिंदगी
जो बची है वह भी कट जायेगी’
टिप्पणियाँ
वह तरक्की-तरक्की के नारे लगायेगा
लोग समझेंगे सब ठीक-ठाक है
अंधेरे में भला किसे तरक्की नजर आयेगी
kya sahi andaz mein bayan kiya hai 🙂 🙂 bahut khub wah.
mera pyar koi chay pepsi nahi jo dil mange more
mera pyar ghadi sabun bhi nahi jo pahle istemal
kare phir visvas kare
mera pyarlic hai jindagi ke bad bhi jindagi ke saath bhi
हर शाख पर उल्लू बिठा दो
जब बिजली चली जायेगी
वह तरक्की-तरक्की के नारे लगायेगा
लोग समझेंगे सब ठीक-ठाक है
अंधेरे में भला किसे तरक्की नजर आयेगी
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तरक्की हो रही चारों तरफ
भ्रमित लोग चले जा रहे यह सोचकर कि
कहीं हमें भी मिल जायेगी
जमीन में धंसता जा रहा है पानी
आदमी में कहां रहेगा
घर में बढ़ते कबाड़ में खोया
जब गला तरसेगा पानी को
तब उसे समझ आयेगी
पर तब तक बहुत देर हो जायेगी
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उसने कहा
‘मैं तरक्की करूंगा
आकाश में तारे की तरह
लोगों के बीच चमकूंगा
मेरी ख्याति चारों और फैल जायेगी’
बरसों हो गये वह घूमता रहा
रोटी से अधिक कुछ हाथ नहीं आया
अब कहता है
‘‘इतनी कट गयी जिंदगी
जो बची है वह भी कट जायेगी’