होली के दिन सबका चरित्र बदल जाता है-हास्य कविता


घर से नेकर और कैप पहनकर
निकले घर से बाहर निकले लेने किराने का सामान
तो सामने से आता दिखा फंदेबाज
और बिना देख आगे बढ़ गया किया नही मान
तब चिल्ला कर आवाज दी उसे
”क्यों आँखें बंद कर जा रहे हो
अभी तो दोपहर है
बिना हमें देखे चले जा रहे हो
क्या अभी से ही लगा ली है
या लुट गया है सामान’

देखकर चौंका फंदेबाज
”आ तो तुम्हारे घर ही रहा हूँ
यह देखने कल कहीं भाग तो नहीं जाओगे
वैसे पता है तुम अपने ब्लोग पर
कल भी कहर बरपाओगे
पर यह क्या होली का हुलिया है
कहाँ है धोती और टोपी
पहन ली नेकर और यह अंग्रेजी टोपी
वैसे बात करते हो संस्कृति और संस्कार की
पर भूल गए एक ही दिन में सम्मान”

हंसकर बोले दीपक बापू
”होली के दिन सभी लोगों का
चरित्र बदल जाता है
समझदार आदमी भी बदतमीजी पर उतर आता है
बचपन में देखा है किस तरह
कांटे से लोगों की टोपी उडाई जाती थी
और धोती फंसाई जाती थी
तब से ही तय किया एक दिन
अंग्रेज बन जायेंगे
किसी तरह अपना बचाएंगे सम्मान
वैसे भी पहनने और ओढ़ने से
संस्कार और संस्कृति का कोई संबंध नहीं
मजाक और बदतमीजी में अंतर होता है
हम धोती पहने या नेकर
देशी पहने या विदेशी टोपी
लिखेंगे तो हास्य कविता
बढाएंगे हिन्दी का सम्मान
——————————–

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टिप्पणियाँ

  • paramjitbali  On 21/03/2008 at 18:03

    दीपक जी,बहुत बढिया लिखा है-

    होली के दिन सभी लोगों का
    चरित्र बदल जाता है
    समझदार आदमी भी बदतमीजी पर उतर आता है

  • राज भाटिया  On 21/03/2008 at 19:51

    दीपक जी बहुत खुब,फ़ंदेबाज बेचारा निकर मे पहचान ही नही पाया अगंरेज को, आप को होली की बहुत बहुत बधाई.

  • karan singh  On 20/02/2010 at 13:00

    that’s good

  • SURAJ  On 23/02/2010 at 11:56

    घर से नेकर और कैप पहनकर
    निकले घर से बाहर निकले लेने किराने का सामान
    तो सामने से आता दिखा फंदेबाज
    और बिना देख आगे बढ़ गया किया नही मान
    तब चिल्ला कर आवाज दी उसे
    ”क्यों आँखें बंद कर जा रहे हो
    अभी तो दोपहर है
    बिना हमें देखे चले जा रहे हो
    क्या अभी से ही लगा ली है
    या लुट गया है सामान’

    देखकर चौंका फंदेबाज
    ”आ तो तुम्हारे घर ही रहा हूँ
    यह देखने कल कहीं भाग तो नहीं जाओगे
    वैसे पता है तुम अपने ब्लोग पर
    कल भी कहर बरपाओगे
    पर यह क्या होली का हुलिया है
    कहाँ है धोती और टोपी
    पहन ली नेकर और यह अंग्रेजी टोपी
    वैसे बात करते हो संस्कृति और संस्कार की
    पर भूल गए एक ही दिन में सम्मान

  • SURAJ  On 23/02/2010 at 12:05

    घर से नेकर और कैप पहनकर
    निकले घर से बाहर निकले लेने किराने का सामान
    तो सामने से आता दिखा फंदेबाज
    और बिना देख आगे बढ़ गया किया नही मान
    तब चिल्ला कर आवाज दी उसे
    ”क्यों आँखें बंद कर जा रहे हो
    अभी तो दोपहर है
    बिना हमें देखे चले जा रहे हो
    क्या अभी से ही लगा ली है

  • vir  On 06/03/2010 at 13:19

    good

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