मुझे कल ही लग रहा था कि कोई चालाकी है और इन्तजार कर रहा था कि आज उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है। कल चाकलेटी चेहरे वाले हीरो ने कहा-” मैं नंबर वन हूँ वह जो क्रिकेट के व्यापार में लगा है वह दो नम्बर है।”
लोग भले ही कड़ी प्रतिक्रिया उम्मीद लगा रहे थे पर मुझे लग रहा था कि कोई एकदम ठंडा और पहले से तय बयान आएगा और यह काल्पनिक सीटें नंबर वन और टू आपस में बंट जायेंगी।आज यही हुआ। क्रिकेट के काम में लगे हीरो ने कह दिया है-”हाँ, वह खूबसूरत हीरो नंबर वन है और उसके बाद मेरा नंबर आता है।”
जो नम्रता अपनाता है वह एक पायदान ऊपर चढ़ जाता है और इस तरह दोनों ने नंबर वन हथिया लिया और दो नंबर पर भी किसी को भी नहीं रहने दिया। अब तो कोई चुनौती भी नहीं दे सकता। फिल्म देखकर अपनी आँखें और दिमाग खराब कर रहे आम लोगों के पास कहाँ इतनी शक्ति बचती है कि इस नंबर वन के चक्कर को समझ सकें और और कई खुशफहमियों जी रहे समीक्षक इस चालाकी को नहीं पकड़ेंगे क्योंकि उनके तो दोनों हाथों में लड्डू हैं। पर हम तिरछी नजर से कंप्यूटर चलाते हुए सब पर नजर रखते हैं पर हमारे गुरु ने हमसे कह दिया है कि कोई तस्वीर दिखाए तो उसके पीछे जाकर देखो।
यह सारा खेल बिग बी के मुकाबले खडे करने के प्रयास से अधिक कुछ नहीं है। इसका फिल्म से कोई संबंध नहीं हैं। पब्लिक सब जानती है। फिल्में देखकर भूल जाती है और फिर विज्ञापन फिल्मों को ढोते हैं। फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार कहते हैं कि आजकल इतनी फिल्में बन रहीं है कि सभी के पास बहुत सारा काम है और कोई अभिनेता एक वर्ष में पांच-छः से अधिक फिल्में नहीं कर सकता इसलिए सबके पास बराबर काम है। इसलिए मैं नंबर एक और दो की रेस में नहीं पड़ता।
फिल्म समीक्षक अगर किसी फिल्म के पारिश्रमिक को अगर सफलता का पैमाना मानते हैं तो अपुष्ट आधार पर जो जानकारी बाहर आती है उसमें भी अक्षय कुमार कम नहीं है। दरअसल जब फिल्में कम बनतीं थी और प्रचार के माध्यम सीमित थे तब हिन्दी फिल्मों में सतत सफलता के हिसाब से किसी एक को सुपर स्टार कहकर प्रचारित किया जाता था। अमिताभ बच्चन इस कथित सिंहासन पर कई वर्ष रहे पर उस पर विवाद भी रहा। उनको ऋषि कपूर और विनोद खन्ना से कड़ी चुनौती मिली क्योंकि जो फिल्म हिट हुईं उनमें यह अमिताभ के टक्कर के हीरो हुआ करते थे और अभिनय भी कम नहीं था।
अमिताभ ने बीच में फिल्मों से विराम लिया तो अनिल कपूर इस कथित नंबर वन पर आ गये। इधर प्रचार माध्यमों का भी विस्तार हो गया और इस पर बहस ख़त्म हो गई कि कौन नंबर वन है और कौन टू। अब फिर नये सिरे से इस कथित प्रथा को शुरू किया जा रहा है-क्योंकि लोगों का ध्यान बंटाने के लिए प्रचार माध्यमों को कुछ तो चाहिए। अब इसे आधार बनाया जा रहा है कि कौन ख़बरों में अधिक बना रहता है और इसके लिए जरूरी है फिल्मों के अभिनय से हटकर कोई अन्य लोकप्रिय व्यापार करना या विवाद खडे करना। अक्षय कुमार ने बहुत सारी फिल्में हिट दीं हैं और उनकी संख्या इन दोनों से अधिक है पर वह कहते हैं कि मैं कभी किसी फिल्म का निर्माता नहीं बनूंगा। विवाद से तो वह हमेशा परहेज करते रहे। यह दोनों हीरो जिन फिल्मों में काम करते हैं उनके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से निर्माता भी होते हैं-हालांकि और भी कई अभिनेता भी यही करते हैं। अक्षय कुमार ऐसा नहीं करते और उनका केवल अभिनय से ही वास्ता है।
आजकल विज्ञापन का युग है और बाजार में उत्पाद बेचने की सिफारिश करने वाले प्रसिद्ध चेहरों की उसे जरूरत है। उनमें अपने क्षेत्र की काबलियत के अलावा अनेक प्रकार की अलग से योग्यता की जरूरत भी होती है और सधी भाषा में कहें तो विवाद अपने साथ जोड़ना। शायद इसी वजह से यह नंबर वन और टू का खेल खेला जा रहा है। ऐसा खेल जिसमें दोनों बराबर रहें और जो बाजार के मतलब के नहीं हैं-क्योंकि अनावश्यक विवादों से परे हैं-उनको नंबर दो से भी धकेल दिया गया है। मगर आजकल प्रचार माध्यम सशक्त हैं अगर वह अपने हिसाब से किसी को नंबर वन दिलवाते हैं तो उसकी मजाक भी कम नहीं बनाते। इधर से खबर देते हैं उधर खिल्ल्ली उडाना शुरू कर देते हैं। वैसे और भी अभिनेता काफी सक्रिय हैं और उनका अभिनय काम नहीं हैं-संजय दत्त, अक्षय खन्ना, इमरान हाशमी, ऋतिक रोशन, सन्नी और बोबी देओल, सुनील शेट्टी और अजय देवगन जैसे अभिनेता भी हिन्दी फिल्मों में बहुत लोकप्रिय हैं, पर यह लोग विवादों से दूर रहते हैं इसलिए इनको कोई नंबर वन में शामिल नहीं करता। सलमान खान भी लोकप्रिय हैं और उनको भी इस दौड़ से बाहर रखा जा रहा है-शायद इसलिए कि उन्होने कोई प्रचार की कोई ऐसी चालाकी नहीं अपनाई। और अमिताभ बच्चन? जहाँ तक मेरी जानकारी हैं उन्होने अभी फिल्मों से सन्यास नहीं लिया है! बहरहाल यह नंबर एक और दो का खेल है दिलचस्प।
टिप्पणियाँ
deepakji apka ye lekh padha’ vyangya kam film sameeksha jyada lagi and hasya ki bhi koi khas bat nazar nahin ai ap batlaiye ye vyangya kis par hai and hasya ki konsi bat hai kabhi kabhi ye bhi hota hai ki pathak vyangya samajh bhi nahin pata hai aur mood kharab ho to hansi bhi nahin ati hai ho sakta hai mere sath bhi kuchh esa hi ho