अंतर्जाल पर बहुत लोग लिख रहे हैं और हर किसी को ब्लोग के बारे इस्तेमाल की पूरी जानकारी हो यह कोई जरूरी नहीं है और जिनको पूरी हो गयी है तो लिख कर व्यक्त नहीं करते. हालत यह है जिन ब्लॉगस्पोट और वर्डप्रेस ब्लोगों का पूरा इस्तेमाल भी कुछ लोग-जिनमें मैं स्वयं भी शामिल-नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में एक शख्सियत हैं सागर चंद नाहर जो निर्बाध गति से अपना ज्ञान दूसरे लोगों को अपने ब्लॉग दस्तक पर बाँट रहे हैं. जब मैं अपने को अंतर्जाल पर लिखते देखता हूं तो यह कभी नहीं भूलता कि किस तरह कमेंट देकर उन्होने मुझे प्रेरित किया, तब मैं सादा हिन्दी फ़ॉन्ट में लिख रहा था और मेरा लिखा कोई पढ़ नहीं पा रहा था. उस समय वह मेरे ब्लॉग पर आए और अपना संदेश छोड़ गये. उसके बाद मैं महीने भर तक अकेले ही अपने ब्लोग यूनीकोड में लिखकर विचरता रहा था तो फिर आए और संदेश छोडा कि नारद पर आओ. हमें तो केवल लिखने का नशा है पर उनको इसके साथ दूसरों को भी प्रेरित करने का भाव हो नाहर जी में है वह बहुत कम लोगोंमें दिखता है.
जो भी नया ब्लॉग नारद पर आया उसे सबसे पहले कमेन्ट देकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने का काम उन्होने किया है. मैं हमेशा उसे ही अच्छा ब्लोग लेखक मानता हूँ जो प्रभावपूर्ण लिखने के साथ दूसरों को भी प्रेरित करता है और मेरे हिसाब से इस समय नाहर जी के अलावा मैं यह गुण अन्य किसी में नहीं देखता .
आईए उनके लिखे पर चर्चा करें. तमाम तरह के तकनीकी ज्ञान को लेकर तमाम ब्लॉगर दावे करते रहे हैं पर अपने ब्लोग पर ही मौजूद सुविधाओं का इस्तेमाल किस तरह किया जाये यह जानकारी मुझे केवल सागरचंद नाहर के ब्लोग से ही मिलती है.देखा जाए तो हमारे ब्लॉग पर जो सुविधाएँ उपलब्ध हैं उनके लिए बाहर से किसी सॉफ्टवेअर की मुझे कभी ज़रूरत नहीं लगती. इन्हीं ब्लोग का अधिक से अधिक उपयोग कैसे किया जाए यह सीखना भर है-हमें यह जानकारी अक्सर दस्तक पर मिल जाती है . अभी सागर चंद नाहर जी ने अपने ब्लॉग पर ही मौजूद सुविधा ब्लोगरोल के व्यापक इस्तेमाल के बारे में लिखा था. इसका इस्तेमाल तो मैं बहुत समय से कर रहा हूँ पर कई लोगों को शायद इससे पता लगा होगा. आपने पिछले दिनों यह सुना होगा की ”अपने चिट्ठे पसंद कर लो और पढ़ो”. जिन ब्लॉगरों ने सागरचंद नाहर का वह लेख पढ़ा होगा वह हंसते होंगे. हमारे ब्लॉग पर ही यह सुविधा है कि आपको जो ब्लॉग पसंद है उस अपने ब्लॉग पर ही लिंक दे और स्वयं पढ़ें और अपने पाठकों को भी पढ़वाएं. चाहे कितने भी चिट्ठे अपने ब्लॉग पर लिंक कर सकते हैं. इसके लिए किसी का मोहताज होने की ज़रूरत नहीं है.
अभी कुछ दिनों पहले ही उन्होने वर्डप्रेस के widgest के इस्तेमाल की जानकारी दी. इसके अलावा वर्ड प्रेस में अपनी पोस्ट पर ही post slug में भी अपना शीर्षक डालने की जानकारी दी और वह मेरे काम आई. आज अब मेरे वर्डप्रेस के ब्लॉग को देखेंगे तो उनके वर्तमान स्वरूप का श्रेय सागरचंद नाहर को ही देता हूँ. इसके अलावा अपनी पोस्ट पर शब्दों का चयन कर उनको विशिष्ट रूप से कैसे दिखाएँ यह भी उन्होने बताया. इतना ही नहीं वह ब्लॉगस्पोट के ब्लॉग के बारे में भी लिखते हैं. मैं मानता हूँ कि अगर आप ब्लॉग को निरंतर लिख रहे हैं और उसमें सुधार करना चाहते हैं तो सागर चंद नहर की दस्तक पर ध्यान देते र्हें, ऐसी जानकारी देने वाला और कोई मुझे तो नहीं दिखा.
वह बहुत सरल स्वभाव के हैं. यह मैं जानता हूँ क्योंकि पिछले वर्ष की कुछ ऐसी पोस्टें जो ब्लॉग जगत में अभद्र व्यवहार पर प्रतिवाद प्रकट करतीं थी उस पर वह कमेंट देते थे और कहते थे आप ऐसा लिखते रहें. कुछ लोगों ने उनकी सादगी को कमज़ोरी समझकर ऐसा कोई व्यवहार उसने किया होगा जो अशोभनीय होगा या वह ऐसे माहौल से दुख होकर कहते होंगे -ऐसा मुझे लगता है. शांति से अपनी बात लिखकर दूसरों की प्रेरणा बनने वाले सागरचंद नाहर पर बहुत दिनों से लिखने का मन था. हिन्दी साहित्या में वही साहित्यकार पूर्ण माना जाता है जो समीक्षा लिख सकता है. मैने इससे पहले सत्येन्द्र श्रीवास्तव (भूख), परमजीत बाली (दिशाएं) और ममता श्री वास्तव (ममता टीवी) पर समीक्षाएं लिखीं थी. उसके बाद एक समीक्षा लिख रहा था तो वह पूरी होने से पहले ही इंडिक टूल पर पता नहीं कहाँ हाथ पड़ा और वह उड़ गया. यह पोस्ट भी मैं लिख चुका था एक माह पहले पर लाईट चली गयी तो इसे सेव कर रख लिया. आज जब वर्डप्रेस पर गया तो अचानक यह याद आई और मुझे अपने आप पर खुद आश्चर्य हुआ कि मैने इसे इतने दिन तक क्यों अपने पास रख छोडा . सागर चंद नाहर के बारे में बस इतना ही और कहना चाहूँगा कि वह ऐसा न समझें की उनका लिखा कोई महत्व नहीं रखता.यह समीक्षा लिखने का मतलब भी यही है की सब लोग समझें कि अन्य पाठक उनको पढ़ते हैं और उसका प्रभाव होता है.
हाँ मैं एक आग्रह उनसे करूंगा कि अगर वह एक ऐसी पोस्ट रखें जिसमें ब्लोग बनाने की पूरी विधि हो. वह यह मानकर लिखें कि ब्लोगर अनाडी हैं क्योंकि हमारा लिखा अन्य आम पाठक भी पढ़ते हैं जो हमें बता नहीं पाते और इस विधा की जानकारी उनको तभी हो सकती है जब कोई ब्लोगर उस पर लिखे. अगर मैं उनके बारे में कम या गलत लिख गया हूँ तो उनसे और उनके प्रशंसकों से और अधिक लिख गया हूँ तो उनके आलोचकों से क्षमा प्रार्थी हूँ. उनके उज्जवल भविष्य की कामना के साथ यह समीक्षात्मक आलेख उनको ही समर्पित.
इनके ब्लोग का पता है
http://nahar.wordpress.com
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टिप्पणियाँ
सागर भाईसाहब से पहली बार इंटरनेट के जरिये मिला, फ़िर जब भारत गया था तो उनसे फ़ोन पर भी बात हुयी । सागरजी की आवाज बडी मीठी सी है और उनका व्यक्तित्व बडा सरल और प्रभावित करने वाला है (इतना तो बिना मिले ही समझ गया हूँ)।
इसके अलावा उनकी संगीत की समझ और पुराने गानों के विषय में ज्ञान के बारे में तो क्या कहने ।
उनके बारे में आपका लिखा पढकर बहुत अच्छा लगा ।
सागर के बारे में तारीफ़ पढ़कर अच्छा लगा। मन खुश हो गया।
शुरू -शुरू मे उन्होने हमारी भी खूब हौसला अफजाई की थी।
सागर जी के बारे मे पढ़ कर अच्छा लगा।
अच्छा लगा. सागर भाई अच्छा लिखते ही नहीं, व्यक्ति भी उतने ही अच्छे है.