नववर्ष नही कर सकता मैं तेरा अभिनन्दन
जब चारों और देखता हूँ पीडा और क्रंदन
अच्छी खबरें ही मिलती रहेंगी तेरे इस दौर में
यकीन नही होता जब करता हूँ अपने मन में मंथन
लोग खुशी के आसमान में उड़ना चाहते हैं
पर तोड़ नही पाते अपने पुराने मन के बन्धन
उत्पात और अशांति के बादल गरज रहे हैं सब तरफ
कहीं न कहीं किसी आदमी की तबाह करेंगे गरदन
कुछ पल अच्छे लग सकते हो कैलेंडर बदलते समय
पर फिर अपनी राह चलोगे, भूलकर अभिनन्दन