सामने कुछ कहैं
पीठ पीछे कुछ और
ऐसे लोगों की बातों पर क्या करें गौर
बात काम करें मचाएँ ज्यादा शोर
बोले और पीछे पछ्ताएं
जैसे नाचने के बाद रोए मोर
जिनके मन में नही सदभाव
उनकी वाणी में होता है कटुता का भाव
अपनी पीठ आप थपथपापाएं
अपने दिल का मैल छिपाएं
क्या पायेंगे ऐसे लोगों को बनाकर सिरमौर
उनकी भीड़ में शामिल होने से बेहतर है
अकेले में समय गुजारें
उनके झुंड में रहने से अच्छा है
भले लोगों का तलाश करें ठौर
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सुबह से शाम तक
पसीन बहाते हुए लोग
बड़ी मुश्किल से रोटी जुटा पाते
फिर भी समाज में तिरस्कार पाते
जिन्हें मिली है दौलत की गाडी
वह फिर भी गरीब से इतना खौफ खाते कि
जिन्हें खुद न माने
उसी जाति,भाषा, और धर्म के नाम पर
भ्रम का जाल बुनकर उसे फंसाते
टिप्पणियाँ
ये पब्लिक है…
ये कुछ नहीं जानती है….
ये पब्लिक है…
पहले तो इन्हें भरमा कर वोटों के बहुत बडे बैंक में तब्दील किया गया…
अब वोटों को नोटों के जरिए कैश किया जा रहा है